माँ हिंगला देवी मन्दिर
आज हम जानते है माँ हिंगला देवी के बारे में जब आप लोग लोहाघाट से चम्पावत की तरफ आयेंगे तो यह स्थान आपको मिल जायेगा लोहाघाट जो चम्पावत जनपथ उत्तराखंड में स्थित है जब आप लोहाघाट से चम्पवात की तरफ चलेंगे लगभग 12 Km तक आने पर आप यहाँ से माँ हिंगला देवी मंदिर आराम से पहुंच जायेंगे बांज के बड़े बड़े पेड़ो और घने जंगलो के बीच बसा ये स्थान इसकी एक अलग ही पहचान है मान्यता यह है की इस स्थान पर माँ भगवती अखिल तारणी चोटी तक झूला (हिंगोल) झूलती थी यही कारण है की इस स्थान को हिंग्लादेवी के नाम से जाना जाता है
एक मान्यता यह भी है की इस स्थान पर एक बड़ी सीला है इस सीला पर एक दरवाजानुमा के आकृति बनी है जिसके पीछे खजाना छिपा हुआ है और इस दरवाजे की चाबी माँ हिंगला देवी के पास है इस मंदिर में साल भर लोगो का आना जाना लगा रहता है विशेषतौर पर चैत्र और शारदीय नवरात्र के समय यहाँ भक्तो की भीड़ लग रहती है
इस मंदिर की स्थापना राजा चंद के साथ आये पुजारी ने की थी पुजारी ने माता के कहने पर इस की स्थापना की जब उनके सपने में माता ने दर्शन दिया था और उनको यह बात बताई थी की इस स्थान के सबसे ऊंची चोटी पर शक्ति और झूला गड़ा हुआ है इसके बाद पुजारी ने इस स्थान की चोटी पर जाकर खुदाई की वहा पुजारी को शक्तिस्थल और झूले के अवशेष मिले फिर जैसा की माता ने पुजारी के सपने में आकर कहा था कि तुम्हे यहाँ मंदिर बनाना चाहिये फिर पुजारी ने माता की बात मान कर यहाँ मंदिर की स्थापना की थी
जो भक्त यहाँ सच्चे मन प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है निसंतान दंपत्तियों की मनोकामना भी यहाँ पूरी हो जाती है पहले यहाँ एक छोटा सा मंदिर और कुटिया हुआ करती थी पर आज यहाँ एक भव्य मंदिर और धर्मशाला निर्माण हो चूका है
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